शारदीय नवरात्रि नवमी पूजा 2025: समय और तारीख

जानें शारदीय नवरात्रि नवमी पूजा 2025 के दिन, तारीख और श्रेष्ठ पूजन समय के बारे में। इस नवरात्रि पर अपने पूजा विधि को सही समय पर करें और माता दुर्गा की कृपा प्राप्त करें।

10/7/20251 min read

शारदीय नवरात्रि का महत्व

शारदीय नवरात्रि, विशेषकर भारत में, श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व देवी दुर्गा के प्रति समर्पित है और नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव का धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से गहरा महत्व है। नवरात्रि के दौरान, भक्त देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं, जो शक्ति, साहस और संकल्प का प्रतीक हैं। यह त्योहार न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की विविधताओं और गहराइयों को भी उजागर करता है।

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से, शारदीय नवरात्रि का महत्व आदिकाल से अत्यधिक रहा है। इसमें देवी दुर्गा की विजय को दर्शाया गया है, जहां उन्होंने महिषासुर जैसे राक्षस का वध किया था। इस जीत के प्रतीक के रूप में, यह पूजा निरंतरता और नवीनीकरण का संदेश देती है। भक्तगण इस दौरान उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और माता की आराधना में लीन रहते हैं। इसके माध्यम से धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामूहिक सहयोग और एकता का भी अनुभव होता है।

इसके अतिरिक्त, शारदीय नवरात्रि का पर्व विभिन्न स्थानों पर विविध सांस्कृतिक परंपराओं के साथ मनाया जाता है। विभिन्न राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि 'दुर्गा पूजा' और 'गुड़िया पूजा'। यह त्यौहार तरोताज़ा होने, नये अनुभव प्राप्त करने और जीवन को सकारात्मकता से भरने का अवसर भी प्रदान करता है। इस प्रकार, शारदीय नवरात्रि न केवल धार्मिक आस्था का मापदंड है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी है, जो समर्पण, बलिदान और पारिवारिक बंधनों को मजबूत बनाता है।

नवमी पूजा की विशेषताएँ

नवमी पूजा, शारदीय नवरात्रि का महत्वपूर्ण दिन है, जो विशेष रूप से मां दुर्गा के प्रति श्रद्धा औरDevotion के लिए मनाया जाता है। यह दिन देवी दुर्गा की नौ रूपों में से नवमी रूप का पूजन करने के लिए समर्पित होता है। इस दिन भक्तगण विशेष अनुष्ठान एवं विधान के माध्यम से मां के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए समर्पित रहते हैं। नवमी पूजा का महत्व केवल धार्मिक मान्यता में नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक है।

नवमी पूजा के दिन, भक्तगण विशेष प्रकार की पूजा-पद्धतियों का पालन करते हैं, जैसे कि कलश स्थापना, पूजा आसन का सजाना और विभिन्न फल-फूल एवं देवी के प्रिय वस्त्रों को अर्पित करना। इस दिन माता के नौ रूपों की विधिपूर्वक आराधना की जाती है, जिससे भक्तों को समस्त सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। देवी गÍAपूर्णा, देवी षोडशी, और कात्यायनी जैसे देवी रूपों की पूजा कृतज्ञता एवं समर्पण का प्रतीक होती है।

यहां पर यह उल्लेखनीय है कि नवमी पूजा के दौरान माता की नौ कन्याओं को बुलाकर उनका पूजन करने की परंपरा भी है। इसे 'कन्या पूजन' कहा जाता है, जहां कन्याओं को माता का स्वरूप मानकर उन्हें भोजन कराया जाता है और उपहार दिए जाते हैं। यह परंपरा सिर्फ धार्मिक संरक्षण नहीं, बल्कि समाज में नारी की गरिमा और सम्मान की भावना को जागृत करती है। नवमी पूजा के संदर्भ में मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि वृध्दि होती है। इस प्रकार, नवमी पूजा शारदीय नवरात्रि का एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण दिन है।

2025 में नवमी पूजा की तारीख

शारदीय नवरात्रि का पर्व हर वर्ष हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। 2025 में नवमी पूजा का पर्व विशेष महत्व रखता है। इस वर्ष, नवमी पूजा 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह दिन विशेष रूप से माता दुर्गा के नौवे रूप, सिद्धिदात्री की पूजा के लिए समर्पित होता है। श्रद्घालु इस दिन विशेष ध्यान और आस्था के साथ देवी माँ की उपासना करते हैं।

इसके अलावा, नवरात्रि का आरंभ 6 अक्टूबर से होगा, जिसमें पहले दिन घटस्थापना की जाएगी। महाष्टमी, जो नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण दिन है, 10 अक्टूबर को मनाई जाएगी। नवमी पूजा से जुड़ी अन्य तिथियों में, 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा, जो कि विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन, भगवान राम द्वारा रावण पर विजय हासिल करने की महत्ता को याद किया जाता है।

नवमी पूजा के अवसर पर, भक्तजन विशेष प्रकार के अनुष्ठान और अनोखी रीतियों का पालन करते हैं, जैसे कि कन्या पूजन। इस दिन, नौ कन्याओं का स्वागत कर उन्हें भोजन कराया जाता है, जिन्हें माँ दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। इसे एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक रस्म माना जाता है।

इस प्रकार, 2025 का नवरात्रि पर्व और नवमी पूजा विशेष रूप से भक्तों के लिए समर्पित है, जो धार्मिक आस्था और परंपराओं को जीवित रखने में सहायक होती हैं।

श्रेष्ठ पूजन समय का महत्व

नवमी पूजा, जो कि शारदीय नवरात्रि के नौवें दिन मनाई जाती है, भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखती है। इस दिन देवी दुर्गा की आराधना की जाती है, और इसे समर्पित भक्तों में विशेष श्रद्धा का भाव होता है। पूजन समय का चयन इस अवसर पर अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि सही समय पर की गई पूजा का प्रभाव भक्त की श्रद्धा और आराधना पर पड़ता है।

विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख किया गया है कि पूजन के लिए निश्चित समय का पालन करना आवश्यक है। विधि-विधान के अनुसार, शुभ मुहूर्त में किए गए पूजन का फल अधिक उत्तम होता है। पूजन का सही समय सुनिश्चित करता है कि देवी माँ की कृपा भक्त पर बनी रहे, और उनके कार्यों में सफलता मिले। एक अनुमान के अनुसार, गलत समय पर की गई पूजा संभवतः पूर्ण फल नहीं देती, जिससे भक्त की अपेक्षाएँ अधूरी रह सकती हैं।

पूजन के सर्वोत्तम समय को पहचानने के लिए ज्योतिषीय गणनाओं का सहारा लिया जाता है। इसमें चंद्रमा के स्थान, तिथि, वार और नक्षत्र का अध्ययन किया जाता है। नवरात्रि के नवमी दिन के लिए विशेष रूप से यह ध्यान रखा जाता है कि माँ दुर्गा की आराधना के लिए चुने गए समय में समर्पिता ऊर्जा अधिकतम हो। इस प्रकार, सही समय का चयन न केवल पूजा की गुणवत्ता को बढ़ाता है, बल्कि भक्ति की ऊर्जा को भी संचारित करता है।

अतः, नवमी पूजा के दौरान श्रेष्ठ पूजन समय का चयन करना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से आवश्यक है, बल्कि यह भक्त की आस्था और सामर्थ्य को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि समय के प्रति सजगता भक्त की भक्ति को और अधिक मजबूत कर सकती है।

नवमी पूजन विधि

शारदीय नवरात्रि के नवमी पूजा का विशेष महत्व है, जिसमें देवी दुर्गा की आराधना की जाती है। इस दिन धार्मिक विधियों का पालन करके भक्तगण देवी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। नवमी पूजा के लिए पहले आवश्यक सामग्री का संग्रह करना आवश्यक है। पूजन में उपयोग की जाने वाली मुख्य सामग्री में चावल, फूल, फल, दीपक, नारियल, मिठाई, और कुमकुम शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, देवी के चरणामृत और भोग तैयार करने के लिए विशेष प्रकार के पकवान भी बनाए जाते हैं।

नवमी पूजा की प्रक्रिया सरल है। सबसे पहले, पूजा स्थल को स्वच्छ करके एक मंडप तैयार किया जाता है, जिसमें देवी दुर्गा का चित्र या मूर्ति स्थापित किया जाता है। फिर कलश स्थापना की जाती है, जिसे जल से भरकर उसके ऊपर आम के पत्ते और नारियल रखा जाता है। इसके बाद, पूजा की संपूर्ण प्रक्रिया शुरू की जाती है। भक्तगण मंत्रों का उच्चारण करते हुए देवी की स्तुति करते हैं और उनके समक्ष भोग अर्पित करते हैं। इस दौरान, माता के 108 नामों का जाप भी करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

नवमी पूजा के दौरान कुछ विशेष ध्यान रखने योग्य धार्मिक मान्यताएँ भी हैं। यह माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इसके साथ ही, विशेष रूप से कन्याओं का पूजन भी किया जाता है, जिसे 'कन्या पूजन' कहा जाता है। भक्तगण नौ कन्याओं को आमंत्रित कर उन्हें भोजन कराते हैं और उनका पूजन करते हैं, जिससे देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस प्रकार, नवमी पूजा की विधि सरल और फलदायी है, जो भक्तों को आध्यात्मिक सुकून प्रदान करती है।

नवमी पूजा के दौरान करने योग्य विशेष कार्य

नवमी पूजा, जो शारदीय नवरात्रि का अंतिम दिन होता है, भक्तों के लिए एक विशेष अवसर है। इस दिन माता दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए अनेक धार्मिक अनुष्ठान एवं कार्य किए जाते हैं। नवमी के दिन, भक्त भक्ति भाव से माता का पूजन करते हैं और विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण कार्य यज्ञ या हवन करना है। हवन का आयोजन न केवल सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि यह जीवन में शांति और समृधि भी लाता है।

भक्तजन नवमी पूजा के दिन भोग भी अर्पित करते हैं। माता के लिए विशेष प्रकार के प्रसाद जैसे खीर, फल, चावल, और अन्य मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं, जिन्हें माता को अर्पित किया जाता है। यह श्रद्धा का प्रतीक है और भक्तों की मनोकामनाओं के पूर्ण होने की भावना को दर्शाता है। इस दिन नैवेद्य अर्पित करने के दौरान भक्तजन मंत्रों का जाप करते हैं, जिससे पूजा में विविधता और ऊर्जा का संचार होता है।

नवमी पूजा के दौरान कुमारी पूजन का भी विशेष महत्व है, जिसमें कुंवारी कन्याओं का पूजन किया जाता है। यह अनुष्ठान न केवल आध्यात्मिक होता है, बल्कि यह समाज में कन्याओं के प्रति सम्मान और श्रद्धा को भी दर्शाता है। इस दिन कन्याओं को नए कपड़े, मिठाई, और उपहार देकर उन्हें सम्मानित किया जाता है। इस प्रकार, नवमी पूजा के विशेष कार्य भक्तों के लिए एक संपूर्ण अनुभव प्रदान करते हैं और उन्हें आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध बनाते हैं।

नवमी पूजा के माँ दुर्गा से लाभ

नवमी पूजा, जो शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन मनाई जाती है, धार्मिक मान्यता के अनुसार माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह मानसिक, आध्यात्मिक और भौतिक लाभ भी प्रदान करती है। भक्तों को नवमी पूजा के माध्यम से माँ दुर्गा से अनेक भौतिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं, जो उनकी दैनिक जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाते हैं।

मानसिक लाभ की बात करें, तो नवमी पूजा के दौरान भक्तों का मन शांत होता है और वे अपनी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। माँ दुर्गा की आराधना से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होती है। इससे भक्तों में आत्मविश्वास बढ़ता है और उनकी मानसिक स्थिति मजबूत होती है। यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी होती है जो मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हैं।

आध्यात्मिक स्तर पर, नवमी पूजा भक्तों को आध्यात्मिक जागरूकता प्रदान करती है। माँ दुर्गा की उपासना करने से भक्त अपने आत्मिक मार्ग की पहचान कर पाते हैं और अपने जीवन के उद्देश्य को समझना आसान हो जाता है। यह पूजा भक्तों को ध्यान और साधना की ओर प्रेरित करती है, जिससे उनकी आत्मा की शुद्धता बढ़ती है।

भौतिक लाभों की दृष्टि से, नवमी पूजा में न केवल वस्त्र, आभूषण और धन की प्राप्ति होती है, बल्कि यह संतुलित जीवन जीने के लिए भी मार्ग प्रशस्त करती है। भक्तों के कार्यों में सफलता की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं और वे स्थायी समृद्धि का अनुभव करते हैं। इन सब लाभों से स्पष्ट होता है कि नवमी पूजा भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो उन्हें हर स्तर पर माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्रदान करती है।